प्यास
Friday, July 15, 2011
मकड़जाल...
चलना ही है अकेले
तो हाथ क्यों बढ़ाया
माना कि यह भूल थी
तो दामन क्यों ना छुड़ाया
आ ध्ाँसे जब गले-गले
तब ये क्यों समझ में आया
कह रहे हैं अब
सही नहीं जाती
प्यार की ये पेचीदगियाँ
तो ए-मेरी जाँ
इसे मकड़जाल क्यूँ बनाया
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment