Tuesday, February 26, 2013

वादा प्रेम का...



तूफान, उफान के बाद
जो कुछ बचता है
उसकी जड़ें होती है गहरी 
या वजन उसे बचा रखता है
हल्की, उथली, कमजोर
का नहीं रहता कहीं जोर
मैं गवाह हूं
मैं ही हूं वह शख्स 
जिसने सहा है 
बर्बादी का हर मंजर
फिर भी मैं वहीं हूं
यकीनन रहूंगा भी
ताउम्र ऐसे ही 
हां, बस ऐसे ही 
तुझसे है वादा 

Saturday, February 9, 2013

सुनना पड़ेगा...




रात... मेरी चेतनावस्था और उसके लिए मेरे आने की आहट। आज रात 3 बजे जैसे ही मैं बिस्तर में घुसा, उसे मैंने किस किया। वो थोड़ी कुनमुनाई... फिर किस का जवाब आया... लव यू दाता। मैंने फिर उसे किस किया तो लगभग मुझे धकेलते हुए बोली- दाता अपनी जगह पर सो जाओ... दाड़ी चुभती है। अचानक वो उठ बैठी और बोली दाता दाढ़ी बना लेना... मैने कहा- ठीक है कटा लूंगा... मुझे मालूम था वो यही बोलेगी... नहीं... कटाना नहीं.. दाढ़ी बना लेना। मैं उसे फिर जकड़ लेता हूं और वो फिर मुझे धकेल देती है। 
रोज रात का किस्सा है ये। मैं बिस्तर में घुसता हूं और वो जागती है। मैं किस करता हूं और वो एकदम चैतन्य हो जाती है... फिर शुरू हो जाता है हमारी बातों का सिलसिला।
दाता आय लव यू से शुरू हुआ यह किस्सा दिनभर क्या-क्या किया... नानी के साथ कैसा दिन गुजरा... और सोना से मिलने कौन-कौन आया था... किसने क्या कहा... न जाने क्या-क्या याद रखती है वो। रात में मुझसे बोली- वन... टू... थ्री... सुनाती हूं। मैंने कहा ठीक है... तो जो शुरू हुई तो हिन्दी-अंग्रेजी पोयम... गाने सब टेपरिकॉर्डर की तरह चलने लगे। मैंने कहा- बेबी बहुत रात हो गई है... सो जाते हैं...तो एकदम भड़क गई... बोली- सुनना पड़ेगा। 
हम दोनों ठहाका लगाकर बोले- ठीक है। फिर वो शुरू हो गई। कमाल है... ये कमबख्त चांद सा खिला चेहरा और पटर-पटर बातें करती वो... काश कि जिंदगी यहीं थमी रहे... काश कि न नौकरी... न दुनियादारी... का झंझट रहे। काश... कि वक्त यहीं रूक जाए। 
...पर शुक्र है वक्त अपनी गति से चल रहा है और एक दिन वो 17 बरस की भी होगी... न जाने क्यों उसे इस उम्र में देखने की ख्वाहिश इसके जन्म से ही है। ...और न जाने कैसे और कब मुझे पता चला कि उसे सुनने और देखते रहने की ख्वाहिश जन्म-जन्मातंर से यूं ही प्यास की तरह मेरे कंठ में आ बसी है।