Wednesday, August 31, 2011

टूटन...



घुट रहा है
कुछ टूट रहा है
धीरे-धीरे, हर पल
कहीं कोई शोर नहीं
खुद मुझे तक पता नहीं
सुबह जब जागता है सूरज
तब टटोलता हूँ खुद को
कहीं कुछ कम होता है
पर क्या, पता नहीं
डरता हूँ
ऐसे ही घिसता रहा
तो एक दिन
नहीं मिलूँगा खुद को भी
पर हाँ, हमेशा की तरह
'साबूत" नजर आऊँगा सबको
कभी पता नहीं चलेगा
खुद मुझको भी
अब 'मैं" कहीं नहीं
कहीं नहीं...

 

Tuesday, August 30, 2011

खुशियाँ



चाही थी मुट्ठी
भर खुशियाँ
नसीब ने मन भर
दर्द पाया
चलना चाहता था
मैं साथ तेरे
मगर हौंसला ना
जुटा पाया
अब इंतजार है
तेरे लौटने का
जानता हूँ मेरे दामन
में बदी है बस निराशा
शून्य से भला लौटकर
कौन है आया

 

Thursday, August 18, 2011

देश का युवा है तू!



चल आ, चला आ
साथ दे तू
एक-एक कर
हजार हाथ जोड़ तू
मुश्किलें अनंत हैं
मगर हिम्मत न हार तू
चल आ, चला आ
जीत ले हर जंग तू
कौन कहता है
भ्रष्टचार, अत्याचार
अनाचार, दुराचार
नहीं मिटा सकता तू
बस ठान ले तू
जान ले तू
न रूकेगा, न दबेगा
न थकेगा, न डरेगा तू
बस आगे और आगे
बढ़ता ही जाएगा तू
हिन्दूस्तान की शान तू
जान तू, ईमान तू
अभिमान तू, स्वाभिमान तू
तुझमें समाया देश, देश में तू
चल आ, चल आ
मिटा दे अब अंधकार तू
सूर्य बन अब चमक तू
खुद को पहचान तू
इस देश का है युवा तू


 

Friday, August 12, 2011

खोज...




उफ् यह तूने क्या किया
खालीपन खुद का
चुपचाप भर लिया
मेरे अंदर से मुझको
ही खाली कर दिया
जब होने लगी आदत
तेरी ओ जालिम
तब बड़ी सफाई से
मुझको अलग कर दिया
अब हाल मेरा ऐसा है
न मैं खुद में हूँ
और अब न तुझमें
मैंने अपने अंदर भी खोजा
वहाँ रूह को छोड़
हर चीज सलीके से मिली



 

राख हुई जिंदगी...



अभी तो सुलगती रहेगी
ये जिंदगी...
खुशफहमी में पहुँचा करीब
तो मिला राख का ढेर
खोजती रहती हैं बेबस निगाहें
कोई तो मिले इसका सौदागर
जानता हूँ मैं-अब नजर नहीं
आएगी कोई भी परछाई
जब तक होती है गर्माहट
खिंची चली आती है तमाम आहट

Thursday, August 11, 2011

तेरी याद!


धुनी रमाए हैं पेड़
पंछी भी कहीं उनमें ही
समा कर दे रहे साथ
मदहोश हवा चाहती
है खुब शोर करना
पर मौन संगीत को तोड़ने की
वह नहीं जुटा पाती हिम्मत
ये इमारत, वाहन
दूर तलक जाता रास्ता
सबके सब हैं खामोश
शायद भीगा हुआ है
इनका भी कोई कोना
खिड़की से जब देखता हूँ
दिलों में उठते हैं कईं बुलबुले
बाहर दूर तलक
बहती नजर आती है 

तेरी याद







 

Sunday, August 7, 2011

सही वक्त...




सही वक्त के इंतजार में
जिंदगी गुजार दी
वो बैठा सोचता रहा
समय उसे छूकर गुजर गया
जब उसने आईना देखा
वक्त के निंशा चेहरे पर नजर आए
गिली पलकों को
छूअन की सिहरन ताजा हो आई


दस्तक...



चुन ली हैं कई दीवारें
फिर दिल के छेद से
झाँकते हैं इस उम्मीद से
कोई आए, वीरानी में दस्तक दे
पर जब कोई देता है आवाज
तो कहते हैं- कोई पागल है
दे दो थोड़ी सी खैरात
कह दो- अब भूल कर भी
न आए इस और

Saturday, August 6, 2011

सही!



कोई सही नहीं होता
एक कम गलत तो
एक होता है थोड़ा ज्यादा
पर जब कोई देता है
'मैं" पर पूरा जोर
तो वह होता है पूरा गलत
फिर भी सही तो
कोई नहीं होता

दर्द




दर्द की दवा ढूँढते
मैं खो बैठा खुद को
न दवा मिली
और न मैं 'मैं" रहा
साथ चलकर कुछ
दिलाते हैं यकिं
मेरे होने  का
जब होने लगता है
खुद पर मुझे ऐतबार
तभी वे दे जाते हैं
दर्द बेहिसाब

Friday, August 5, 2011

मुखौटा!





चढ़ा लिए हैं
भाँति-भाँति के लेप
फिर उसे ही चेहरा
मान, जी रहा है इंसान
हर थपेड़े से वह खुद को
नहीं, आवरण को बचाता
फिर अपना-पराया भूल
ताउम्र मुखौटे से करता है प्यार

दोस्त...


मुझसे किसी ने दोस्ती
की परिभाषा पूछी
मेरी जुबाँ पर
तेरा नाम आया
जब तेरी खूबी पूछी
तो मुफलिसी का
वो वक्त याद आया
फिर तेरे साथ बिताया
हर पल दौड़ा चला आया

चिंता!




'कल" की चिंता में
वह मर गया आज ही

Thursday, August 4, 2011

तस्वीर!



जब भी आता हूँ तेरे पास
कोरा केनवास रहता हूँ
तेरी ऊँगलियों के कूचे
उकेर देते हैं कई सतरंगी सपने
फिर वे ख्वाब मेरे जिस्म में
तेरी खुशबू से बस जाते हैं
और मैं जिंदा तस्वीर बन
महकता रहता हूँ दिन-दिन भर।

कहाँ गई?


अभी बैठी थी सामने
छूते ही हवा बन गई

Tuesday, August 2, 2011

उम्मीद...



देख रहा हूँ मैं
थामे अपना दिल
उम्मीद है
घनघोर घटाएँ छाएँगी
प्यासे तन, मन को
तरबतर कर जाएँगी
जो रोपा है बीज
वह अंकुरित कर जाएगी
सूखे पड़ी हैं जो धाराएँ
कलकल की धुन सुनाएँगी
बंजर होती धरती
को फिर हरा कर जाएगी
सूखे पेड़ों पर भी
कोपलें खिल आएँगी
उन पर घोसलें बना
चिड़ियाएँ मस्ती से चहचहाएँगी
और सावनी झूलों में
यौवनाएँ प्रेमगीत गाएँगी
वादा किया है तूने
अमृत बन बरसेगी
इस बार ना करेगी नाउम्मीद
बस बरसेगी, और झूम-झूम बरसेगी





 

Monday, August 1, 2011

दिल चलाता 'दिल" की!

दिल को अलग रख
दिमाग से काम लूँ
ऐसा कई बार सोचा
कुछ पल के लिए
चला भी उसकी मर्जी से
पर अगले ही क्षण
कमबख्त दिमाग भी
सुनने लगता है दिल की