Monday, May 26, 2014
Wednesday, May 21, 2014
लंबा इंतजार...
जब तू लौट आएगी
बातें होंगी जी भर
लौटना जरूर
पर, सोचता हूं छोड़ पाएगी
उस स्व को
जो रात-दिन तुझमें ही
ले रहा होता है सांसें
उस जमीन, घर, दफ्तर को
जो लील जाते हैं तुझे रोज
उस भीड़ को
जिसमें कहीं गुम होते देखा है मैंने
उस ऊहापोह को
जो घटित होती है प्रति क्षण तुझमें
उस मन को
जो हर वक्त है बेचैन
उस विरानी को
जिसे खुशियों के उत्सवों को भी
लीलते हुए देखा है मैंने
उस जिस्म को
जो बस प्यास ही तो जगाता है
जानता हूं इतना सबकुछ छोड़कर
लौटने में वक्त तो लगता है
इसलिए, इस बार लंबा इंतजार
फिर ना जाने के लिए
खालिस तू जब होगी
तभी तो, बातें होंगी जी भर
Tuesday, May 13, 2014
चुटकी भर वक्त
हर वक्त पकड़ता हूं
वक्त को
इधर, छूटी जाती है
जिंदगी हाथ से
सबकुछ साधने की हवस में
हो रही है खाक
हस्ती मेरी
ऐ-वक्त आखिर
कब देगा चुटकी भर वक्त मुझे
ताकि घड़ी भर देख सकूं
थोड़ा मरहम लगा सकूं
तूने दिए हैं जो घाव मुझे
क्यूं नहीं तू रुक जाता दो पल को
मेरे साथ बातें करता
जिंदगी का तू भी इंतजार करता
फिर बाहों में जकड़ उसे
हमकदम मेरा होता
Friday, May 9, 2014
Wednesday, May 7, 2014
Saturday, May 3, 2014
Thursday, May 1, 2014
मां से नानी एक सफर...
ख्वाब कईं बसाए आंखों में
दबाए बेटियां कांख में
वह चलती रही
थकी भी होंगी
हुए होंगे कदम विचलित भी
यकीनन, कईं कोशिशें हुई
रोकने की उसे
पर न वो रुकी
न कभी डगी
बढ़ती रही
हकीकत होते रहे
उन जागती आंखों के ख्वाब
उसी ने बनाया
गुड़िया को खालिस सोना
और, सोना देखते ही देखते
गीतांजली बना नजर आया
ख्वाब तो अब भी पल रहे हैं
उन आंखों में
बस इंतजार है फिर
एक कोपल के 'युगंधर" बनने का
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