Saturday, February 25, 2012

चाह...

जानता हूँ
सारी राहें जाती है तुझ तक
कहीं खड़ी भी होगी तू
मेरे ही इंतजार में
साल-दर-साल
चुनता हूँ इक नई राह
उम्मीद बस होती है यही
इस बार पा ही जाऊँगा तुझे
कमबख्त कितने ही मोड़ आए
कितनी ही राहें बदलीं
बस, इसी आस में
हर राह जाती है तुझ तक
कहीं कर रही होगी
तू, मेरा इंतजार
ऐसे ही
हर क्षण
तुझ में ही भटक रहा हूँ
तुझे ही पाने की चाह में
 

Friday, February 24, 2012

इजहार


कहते हैं-वे
आज लौटे हो पुराने रंग में
इजहारे इश्क का है ये कमाल
श्वेत-श्याम जिंदगी
फिर रंगीन हो गई

Friday, February 10, 2012

उमर!

उनिंदी सी उस सुबह
ब्रश करते हुए
आईने में जब खुद को टटोला
हल्की-सी निकल आई दाढ़ी में
दो सफेद मेहमान भी नजर आए
मैंने मुस्कुराकर कहा-वेलकम
वो बोले-उमर के निशाँ है प्यारे
अब तो बड़ा हो जा
अभी तो हम दो हैं
आगे देखता जा, होता है क्या
तभी ताजे झोंके समान
'युगी" आकर पैरों से लिपट गई
बोली- बॉलऽऽऽ
फिर मैं घंटों बेटी के साथ
बच्चा बना रहा

 

Thursday, February 9, 2012

तेरा रंग...

मुझे पता है
हर चीज छूट जाएगी
नौकरी, साख
धाक, पैसा, इज्जत
नहीं छूट पाएगा तो बस
तेरा चढ़ा रंग
फिर भी
जानकर भी अनजान बना 'मैं"
दौड़ रहा अंधी गलियों में
उन कुंठित ख्वाहिशों के पीछे
जो ले जा रही तुझसे दूर
जबकि, लौटकर आना ही है
तेरे पास
आकर पूछूँगा, तू नाराज तो नहीं
मुझे पता है
तू गुस्से में होगी
फिर भी कहना, नहीं
और, चढ़ा देना
रंग की एक और परत
 

काश!

कम्प्यूटर, फोन
सामने लगा पोस्टर
पेन, मोबाइल
कुर्सी, पानी की बोटल
यहाँ तक कि 'मैं" भी
सब, सबकुछ संवेदनशून्य
निराश, हताश
काश, तू छू दे
मुझे
तो 'सबमें" जान आ जाए