Tuesday, March 24, 2015

तेरी बातें


नदी सी बहती है
तेरी बातें
कभी अथाह
तो  कभी किनारे
मैं
जंगल सी गहरी है
तेरी बातें
कभी रहस्य
कभी बियाबान में भटकता
मैं
सफर सी रोचक है
तेरी बातें
कभी कुछ छूटता 
कभी मंजिल को पाता
मैं
सहरा सी है
तेरी बातें
कभी प्यासा
कभी रेत के मानिंद फिसलता 
मैं
जीवन से भरी है
तेरी बातें
कभी उम्मीदों में तैरता
कभी डूबता 
मैं
तेरी सी रहस्यमयी है
तेरी बातें
कभी सुलझता
कभी उलझता 
मैं 
तू और तेरी ही बातें 
तुम दोनों के बिच 
हर पल, हर कहीं 
झूलता 
मैं