Wednesday, October 24, 2012

रोशनी की प्यास...


हर वक्त एक द्वंद चलता रहता है। शायद यह सबमें चलता होगा। कोई एक मैं ही नया नहीं हूं... हो सकता है सबको नजर भी आता हो... अपने मन में बहुत कुछ हर वक्त घटता सा। कई बार बड़ी-बड़ी घटनाएं सुनामी समान अंदर ही अंदर उठती है... बाहर एक दम सब शांत... किसी को कोई आभास नहीं... पर अंदर का आभास मुझे ही है... सब तबाह... सब... फिर नया होगा तबाही के बाद... एक उम्मीद... एक लाचारी... हार... संघर्ष... और वही रोशनी की ओर प्यासी सी दौड़। क्या बस इतनी-सी है ये जिंदगी।
प्यास इतनी बड़ी होती है... कि हर बार भी हारकर मैं उठ खड़ा होता हूं। शायद इस डर से भी कि कहीं यहीं प्यासा ना मर जाऊं... या फिर यही नियति है, जिसे मुझे चुनना ही है... कोई च्वाइस नहीं। च्वाइस तो होती ही कहां है, जिसके पास होती होगी... क्या उनके पास जिंदगी की चाह होती होगी? शक है मुझे, क्योंकि प्यास ही तो जिंदगी है... वह रोशनी ही तो है, जिसकी चाह में मैं अंधेरी टनल में यहां-वहां टकराते हुए भी घायल, परेशान, हताश होकर भटक रहा हूं।
मुझे मालूम है, इस जन्नात की हकीकत... रोशनी कभी किसी का इंतजार नहीं करती। वह मरीचिका है... जब जहां उजियारा, उस वक्त के लिए, बस उसी वक्त तक के लिए वह उसकी है... वरना तो बस भागना ही ही है अपनी प्यास के साथ... अंधों समान रोशनी की चाह...।
बाहर की सुनामी बरसों बरस में एक बार आया करती है, पर मेरी सुनामी की फ्रिक्वेंसी इतनी है कि अब तबाही में ही रहने की आदत हो गई है। नहीं चाहता कुछ भी व्यवस्थित करना... बस दौड़ते रहने की चाह है... बिना सोचे, जाने, समझे... कई बार तो उजियारे की चाह में जुगनूओं को भी एक-एक कर बिन लेता हूं... शायद कभी रोशन हो मेरा स्व... शायद सुनामी थमे... शायद जिंदगी की रेस में जिंदगी से मुलाकात हो... शायद रोशनी किसी दिन मेरा कंठ तक तर कर दे... शायद...
 

Thursday, October 18, 2012

इश्क...


न छू इसे, रहने दे ऐसा ही
जख्म गहरा है कितना
देखूं तो एक नजर भर
परख लूं यह भी
दर्द कब खुद
बन जाया करता है दवा
और इसलिए भी मत छू
विष बीज है यह कमबख्त
करता है छूते ही
सीधे दिल पर असर
न दवा आती है काम
न करती है दुआ असर
चाहकर भी कहां मर पाएगी तू
खुद जहर बनकर भी
जिंदा रह जाएगी तू
 

Tuesday, October 16, 2012

मौन की भाषा...


काश कभी ऐसा हो
मौन ही शब्द बन जाए
तब तेरा दिल सीधे जान लेगा
इस दिल के हाल
दोनों कर लेंगे मिलबैठ
दूर सब शिकवे-शिकायत
बता भी देंगे जख्म
किस कदर गहरें हैं कमबख्त
और इकदूजे को
लगा देंगे राहत का मलहम
दिन-दिन भर करते रहेंगे
दिल्लगी की बातें
न समय, न शब्द
बस बोलेगा सिर्फ मौन

Monday, October 15, 2012

उम्मीद...


चुपके से सिरहाने रख आया हूं
कई ख्वाब सुनहरे से
कोई एक दिन तो मेरा होगा
जब ये तैरकर जा बसेंगे तेरी आंखों में
उसके बाद यकिनन
हर पल मेरा होगा
फिर, सपनों से दूर कहीं
बुन रहे होंगे हम
एक हकिकत की दुनिया अपनी-सी
जो कुछ-कुछ होगी मिठी-सी
थोड़ी होगी सोंधी-सी
 

Sunday, October 14, 2012

मेरी बेटी का मैं बेटा...


युगंधरा... दुनिया की सबसे खुबसूरत लड़की... सबसे प्यारी बेटी... कितनी भोली, मासूम और वाकई लाजवाब। क्या सुखद अहसास है... तेरे साथ का।
मेरा दिन में सैकड़ों बार तुझे आय लव यू बेबी कहना और हर बार तेरा बड़ा प्यारा सा जवाब- आय लव यू दाता... वाह! और जिंदगी वहीं थम जाती है, इससे ज्यादा क्या कोई खुशनसीब हो सकता है... भला।
तुझ पर इन दिनों 'छोटा भीम" का जादू सिर चढ़ कर बोल रहा है। खुद को छोटा भीम कहती है और अपनी दादी को नाम दिया है छुटकी... सारा दिन छुटकी को लिए-लिए घुमना, कितना मजेदार है। छुटकी भी बड़े मजे से डांट खाती, मस्ती करती, बॉक्सिंग करती नजर आती है।
एक दिन छोटा भीम और छुटकी अन्नापूर्णा मंदिर जाते हैं। दोनों भगवान को धोक देते हैं। छोटा भीम के मुंह से निकलता है- सबका ध्यान रखना...। यह सुन छुटकी और पास ही खड़े लोग भी चौंक जाते हैं। ऐसा है मेरा छोटा भीम।
युगी और दादी जब मंदिर से निकलकर घर को लौट रहे होते हैं, तो युगी कहती है- दादी सा. आप मुझे नीचे उतार दो, आप थक जाओगे। दादी बेचारी वैसे ही इमोशनल... वो पानी भरी आंखों से पूछती है- चलने से तो दोनों थक जाएंगे। युगी थोड़ा चलने के बाद कहती है- दादीसा. ऑटो... और फिर दोनों मजे से ऑटो में बैठ घर पहुंचते हैं।
मम्मा मुझे अपने छोटा भीम का मंदिर में धोक के दौरान का सारा किस्सा सुनाती है। तो मैंने युगी से पूछा- किसने कहा तुझे कि भगवान से ध्यान रखने को बोलने का। तो बोलती है नानी ने। ...कितनी बखूबी उसने नानी की सीख को उतार लिया है। आश्चर्य तब हुआ जब मैंने उससे पूछा कि ध्यान रखना, पर किसका? तो वह एक सांस में मम्मा, दाता, छुटकी, नानी, नाना, दादा, लखन, पुष्कर, अम्मा, काकाओं सहित बीसियों नाम... कमाल है... महज ढाई साल की लड़की और भगवान से ज्यादा ध्यान तो यह रख रही है, अपने फेवरेट लोगों का।
उसके प्यार करने का तरीका भी कमाल है... शायद ही कोई हो जो मुझे इस हद तक प्यार करता हो! मैं ऑफिस में होता हूं और रात में उसके सोने का वक्त होता है तो उसे मेरी चादर, तकिया और जगह चाहिए होती है। फिर मजाल की सोना वहां सो जाए। सोने का तरीका भी देखो... चादर ओढ़कर, मेरे तकिये के नीचे एक हाथ दबाकर, दूसरा हाथ अपने बालों को सहलाते हुए कहती है- अब सो जाते हैं। रात की तीन बजे जब मैं घर पहुंचता हूं, तो मैं उसके नींद में होने के बावजूद आय लव यू कहता हूं, तो कई बार वह नींद में ही बड़बड़ाती है आय लव यू दाता...। अभी 3-4 दिन पहले मुझे बुखार आया। युगी को इंफेक्शन न हो जाए, इसलिए मैं अलग कमरे में सोया। युगी रोज रात को उठती, मां से पूछती दाता आए? सोना बोलती- हां, तो सवाल होता- बीमार है, दूसरे कमरे में सो गए?
मुझे वह कई बार बाळा (बच्चा) कहती है और खुद को मेरी मां मानती है। उस दौरान जो लाड़ मुझे मिलता है, वो अद्भुत है। खुद की छोटी सी गोद में मेरा बड़ा सा सिर जैसे-तैसे रखती है। छोटे-छोटे गद्देदार हाथों से थपकियां देती, किस करती वह मेरी जान ही ले लेती है।...
आय लव यू बेबी...
 

Friday, October 12, 2012

दगाबाज...


चेहरे के पीछे
छिपे होते हैं कईं चेहरे
दुआ करता हूं
देख न पाऊं इन्हें कभी
क्या पता कब
कोई दगाबाज निकल आए
डरता नहीं हूं, लेकिन
भ्रम में जिंदगी हो जाए बसर
तो क्या बुरा है