गाड़ी 120 और दिल
हजारों-हजार गुना तेज
उस पर सुबह का ये
गिला, सीलन भरा मौसम
पहाड़ों पर उग आई
बादलों की ये टुकड़ियाँ
आसमाँ से झरते पानी
को हटाते ये वाइपर
उफ्, क्यों मैंने दिल पर
जमा बूँदों पर यूँ हाथ फेर दिया
पूरा सफर यादों से भीगा रहा
मैं रहा वैसा ही रेगिस्तानी सूखा
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