Tuesday, December 31, 2013

सांता से बोलकर गायब करवा दूंगी...





न जाने क्यों क्रिसमस के एक दिन पहले ही सांता क्लॉज ने युगंधरा को गिफ्ट दे दिया। गिफ्ट भी वह जो कई बार युगी के सपने में आया होगा या वो कई बड़े बच्चों के हाथों में देखा करती रही है। टेब जिसमें हो ढेर सारे गेम्स। वाह... सुबह जैसे ही तकिये के नीचे हाथ डाला, युगी की आंखें चमक उठी। बोली- मम्मा सांता ने तो कमाल कर दिया। थैंक्यू सांता... बस उसके बाद यह पोस्ट लिखे जाने तक सांता ही सांता है। 
टेब में आंखें गड़ाकर बार्बी का मैकअप किया जा रहा है, नहलाया जा रहा है, टैंपल रन हो रही है, बिल्ली से बात हो रही है, उसे खाना खिलाया जा रहा है, सुलाया जा रहा है न जाने क्या-क्या। कमाल यह है कि अब युगंधरा यह भी देख चुकी है कि और बच्चों को सांता ने ऐसा गिफ्ट नहीं दिया है, जैसा उसे मिला है... तो अब वह मान चुकी है कि सांता केवल उसकी ही सुनता है। वह धमकाने भी लगी है कि ज्यादा परेशान करोगे तो सांता से बोलकर गायब करवा दुंगी। अपने दाता को भी वह यही धमकी दे चुकी है। दाता ने जब यह कहा कि अब गेम नहीं खेलना, बंद करो... तो बोली नहीं...दाता.. 
जब दाता ने फिर दोहराया तो बोली देखना सांता से बोलकर आपको गायब करवा देती हूं। जब उसे कहा गया कि फिर दाता गायब हो जाएंगें तो स्कूल की फिस कौन भरेगा, कार में घुमाने कौन ले जाएगा, किसका सीना चीरकर देखेगी कि इसमें युगंधरा है तो सोच में पड़ गई। फिर धीरे से कहा- मैं फिर बुला लुंगी... शुक्र है दाता की जान में जान आई। दाता का सारा प्रेम इस बार सांता के कारण दांव पर लग गया था।
खैर कमाल की है युगी... सीना चीरने का किस्सा यूं है कि एक बार बाप-बेटी के बीच बात चल रही थी। युगी ने पूछा- दाता गणेशजी को जानते हो... नहीं कहने पर बताया कि उनकी सूंड होती है... बड़ा सा पेट होता है... जिसमें ढेर सारे लड्ढू... फिर ठहाके मारकर हंसी। उसने दाता की फिर परीक्षा ली और पूछा- अच्छा हनुमानजी कैसे दिखते हैं? फिर दाता का ना सुन बकायदा एक्शन के साथ जवाब दिया... एक पैर पर खड़ी हुई, एक पैर हवा में थोड़ा फोल्ड किया फिर एक हाथ आगे किया और दूसरे हाथ में कुछ उठा रखा हो जैसी एक्शन की। उससे पूछा कि यह क्या है तो बोली हनुमान हवा में उड़ रहे हैं हाथ में पहाड़ है... क्या दाता इतना भी नहीं जानते... फिर एक और परीक्षा। इस बार उसने जानकारी दी कि हनुमानजी अपना सीना फाड़ते हैं.. आपको पता है उसमें कौन नजर आता है? दाता के फेल होने पर जवाब था- राधा-कृष्ण... उसके दाता को पसीना आ गया ये समझाने में कि वो राधा-कृष्ण नहीं राम-सीता हैं। खुब समझाने पर उसने माना कि दाता शायद सही हैं। दाता ने पूछा- अच्छा बेबी तुम्हारा सीना चीरे तो क्या नजर आएगा तो उसकी आंखें एकदम गोल हो गई। बिना समय लगाए तपाक से उसने कहा- छोटे से दाता... फिर जब उससे पूछा कि दाता के सीने में कौन होगा तो बोली- छोटी से युगंधरा....
युगंधरा एक बात और कहा करती है कि दाता मेरे एक नंबर के चम्मचे हैं और मैं दाता की एक नंबर की चम्मची हूं... है ना कमाल दोनों एक-दूसरे के एक नंबर के चम्मचे... 

Saturday, December 28, 2013

आह...


इफरात में अब
कुछ भी नहीं मिलता
वो कॉफी, लॉंग ड्राईव
लंबी बातें, हाथों में तेरा हाथ
हर वक्त का साथ
सब कहीं छूट गया
बदकिस्मती की हद तो देखो
अकेलापन भी अब नसीब नहीं होता
लगता है कुछ नहीं है मेरा
हालत इतनी बदतर है ए-दोस्त
खुद को देखे ही अरसा बीत गया
सोचता हूं
एक दिन हर कतरे को फिर चुन लूं
आसमां में टंके तारों की तरह
मैं भी इन्हें दामन में अपने टांक दूं
खर्चूं तो
रखूं पाई-पाई का हिसाब
या फिर किसी बनिये की तरह
चढ़ा दूं ब्याज पर
जिस वक्त को दोनों हाथों से
जमकर लुटाया
काश, चंद लम्हे ही सही
कोई मुझे लौटा दे
काश, इफरात में न सही
कतरा-कतरा जीने की
कोई सहूलियत दे

Friday, December 20, 2013

इंतजार


मेरे पास बैठ
ए-जिंदगी जरा 
ले आगोश में मुझे 
मेरे उलझे बालों में
ऊंगलियां जरा घुमा
पेशानी पर पड़ी सलवटों को
दे सुकून जरा
बरसों हुए चैन से सोये मुझे
एक मौन की लोरी जरा सुना
मेरी पलकों को चूम कर
मीठा सा एक सपना दे जरा
सहरा के इन प्यासे लबों को
दरिया में डूबो दे जरा
थक कर चूर इस जिस्म पर
अपने निशां छोड़ जरा
आ बैठ मेरे पास ए-जिंदगी
कुछ मेरी सुन
जरा कुछ अपनी सुना