Friday, July 19, 2013

लौ


तुझसे कभी 
छिना था तुझे
डूबकर तुझमें ही
बुझ गया था मैं
अब कहां से लाऊं तुझे
कैसे लौटाऊं तुझे
छोड़ भी दे अब
खुद को यूं मांगना मुझसे
मैं तो बुझकर भी 
खोज रहा हूं
जीवन की एक लौ तुझमें

Saturday, July 13, 2013

अधूरी ख्वाहिश...


पिघल कर 
चाहता हूं बूंद बन जाना 
आऊं जो तेरी हथेली पर 
तो तुझे थोड़ा तो भीगा पाऊं
जो छू लूं लब तेरे 
तो तेरे जिस्म की सैर कर जाऊं
याद बनकर कभी 
तेरी पलकों को झील बना जाऊं
और कभी आईना समझ मुझमे तू जो झांके
तेरी शोख अदा पर मैं इतराऊं
पर कहां होता है ऐसा
हर चीज पिघलते
देखी है मैंने
बस तेरी ही आग ऐसी है कमबख्त
खुद को राख होते 
देख रहा हूं मैं

Tuesday, July 9, 2013

छूटा सिरा...


राह तो तेरी ही चला हूं मैं
पर जो सिरा तुझ तक जाता था
छूट गया है न जाने कहां
भूल यकिनन है मेरी
क्यों नहीं थाम पाया 
हाथों में हाथ तेरा
क्यों नहीं दिला पाया 
अपने वजूद का यकिन तुझे
क्यों नहीं बता पाए 
ये दिल, आंखें
बसी है इनमें तस्वीर तेरी
क्यों नहीं समझा पाया
कितनी घुटन है बिन तेरे
क्यों नहीं जता पाया 
हां, मैं करता हूं प्यार तुझे
क्यों नहीं दिखा पाया
मोहब्बत की गहराई तुझे
और, ये कमबख्त आंखें
जो हर पल बुनती है ख्वाब तेरे
नहीं बता पाई 
मेरे अंदर की बेकरारी तुझे
बस भटक रहा हूं 
नहीं जानता
ये तकदीर अब कहां 
लेकर जाएगी मुझे 
छूट गया है जो सिरा
मेरा रोम-रोम हर जगह
टटोल रहा है उसे 

Saturday, July 6, 2013

तेरी हंसी

अरसा हो गया 
सुने हंसी तेरी
कि अब तो 
शिकायतों में है जिंदगी तमाम
रोशन करता हूं रोज
उम्मीद का दीया दिल में
शाम होते-होते 
उदासी में डूब जाता है कहीं
तुझे पता है
तेरी कुरबत की खातिर
हर पल मर कर 
न जाने कैसे जी उठता हूं मैं
फिर भी, नहीं होता है यकीं
तू भी वही, हूं मैं भी वही
न जाने कहां 
खो गए तू, मैं कहीं
ये तलाश, ये प्यास
तेरी एक हंसी से 
होती है शुरू
और, तमाम भी यहीं 

Wednesday, July 3, 2013

उदासी


मत पूछ सबब मेरी उदासी का
कि बात आकर रुकेगी तुझ पर
ना तू समझेगी 
ना मैं बता पाऊंगा
न जाने कहां से उग आया है
तेरे होने पर खोने 
और, तेरे ना होने पर 
कभी ना पाने का डर

बीज प्रेम का


हर जगह बो देना चाहता हूं
वह बीज 
जो तेरे, मेरे होने की 
देता है गवाही
जब कभी एक पल को तू
भूलना चाहे भी मुझे
किसी कोने से तब 
मेरे होने की गंध आ घेरे तुझे