Saturday, August 16, 2014

होना, ना होना


तुझे जीने के लिए
जरूरी नहीं है तेरा होना
पर, तेरे होने के लिए अब
मेरा होना है जरूरी
मैं ना रहा तो तू बता
पहचान ही क्या है अब तेरी
कभी जोड़ा करते थे कुछ दिलजले
तेरे नाम के साथ नाम मेरा
पर अब, लेते हैं वे ही सातों पहर
कसमें मेरे प्यार की
तू घड़ी भर ठहर 
देख तो सही
कैसे ना होकर भी 
किसी में जी रहा होता है कोई
कैसे सहरा में 
जीवन की आस में भटकता है कोई
और कैसे डूबकर भी 
जीने की तमन्ना रखता है कोई
कैसे छूटकर भी
खुद को जोड़े रखता है कोई
कैसे दर्द के सैलाब में
उम्मीदों के तिनके बीनता है कोई
कैसे तेरे होने, ना होने में
खुद को उम्मीदों में बांधे रखता है कोई

Friday, August 15, 2014

दो पल


तड़ के लिए जरूरी नहीं
उम्र गुजारी जाए
एक आह ही काफी
मौत के लिए
यकीन ना हो तो
देख आजमां के खुद को
ताउम्र की बातों को
दो बोल से तौल
आजमाना जरूरी है
नहीं तो, उम्र निकल जाती है
गलतफहमियों में कभी
तू डूबना चाहे तो
जरूरी नहीं समंदर ले आगोश में तुझे
एक कतरा ही काफी है
मौत को गले लगाने के लिए
गर तू जीना भी चाहे तो
काफी है खुशियां दो पल की
उन खुशफहमियों से
जो मिलती है तुझे चालाकियों से
मैं पाना चाहता हूं तुझे
दो पल के लिए
वो भारी है तेरे उन पल पर
जो कमाए है तुने जिंदगी भर के लिए