Thursday, October 13, 2011

मेरा 'बरकती सिक्का"!



भीगा हुआ वह मासूम
बड़ी उम्मीद से
हर शख्स को देखता
जैसे ही कोई जेब में हाथ डालता
वह खिल जाता
तुरंत गोता लगाकर
सिक्का निकाल लाता
कई बार खाली हाथ भी लौटता
जब भी मैंने ये नजारा देखा
उसकी चूक में खुद की हार को पाया
ऐसे में बरबस ही
तेरा हाथ खुद के हाथ में पाया
फिर नर्मदा से आँख बचाकर
मुट्ठी में भींच, तुझ 'बरकती सिक्के"
को ले मैं भागा चला आया!

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