Sunday, April 17, 2011

सुलग उठी प्यास!

बहुत तेज प्यास
कैसे भी हो मैं पा जाऊँ उसे
जब मैंने बताया हाल-ए-दिल
जवाब आया- प्यास में बड़ा है मजा
एक तड़प होती है इसमें
दिल से हर वक्त तेज दर्द का रिसाव
आत्मा का एक सिरा हमारे पास
तो दूसरा सिरा कुछ खिंचता सा
हर वक्त सबकुछ छोड़ने की चाह
पर कुछ भी छूटता है कहाँ
डूबे रहो ना इस प्यास के सोते में
मैं भी तो डूबी हूँ आकंठ
जवाब सुन- मैं मुस्कुराया, ध्ाीरे से वह भी
मैंने भी जान लिया और उसने भी
यहाँ भी वही प्यास और वहाँ भी
पर यह जानते ही प्यास सुलग उठी ।











 

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