मुझमें तेरे होने की बस यही है निशानी दर्द है भीतर कहीं भरी है बेचैनी बाहर हर कहीं हर वक्त है एक खोज जानता हूं नहीं है तू कहीं हर चीज है सूनी जैसे छूट गई है जिंदगी कहीं सन्नाटे को चीरता सन्नाटा कहता है, फिर से देख वो होगी यहीं कहीं क्या करूं मुझमें तेरे होने की बस यही है निशानी
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