Friday, August 15, 2014

दो पल


तड़ के लिए जरूरी नहीं
उम्र गुजारी जाए
एक आह ही काफी
मौत के लिए
यकीन ना हो तो
देख आजमां के खुद को
ताउम्र की बातों को
दो बोल से तौल
आजमाना जरूरी है
नहीं तो, उम्र निकल जाती है
गलतफहमियों में कभी
तू डूबना चाहे तो
जरूरी नहीं समंदर ले आगोश में तुझे
एक कतरा ही काफी है
मौत को गले लगाने के लिए
गर तू जीना भी चाहे तो
काफी है खुशियां दो पल की
उन खुशफहमियों से
जो मिलती है तुझे चालाकियों से
मैं पाना चाहता हूं तुझे
दो पल के लिए
वो भारी है तेरे उन पल पर
जो कमाए है तुने जिंदगी भर के लिए

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