Wednesday, May 21, 2014

लंबा इंतजार...


जब तू लौट आएगी
बातें होंगी जी भर
लौटना जरूर
पर, सोचता हूं छोड़ पाएगी
उस स्व को
जो रात-दिन तुझमें ही
ले रहा होता है सांसें
उस जमीन, घर, दफ्तर को
जो लील जाते हैं तुझे रोज
उस भीड़ को
जिसमें कहीं गुम होते देखा है मैंने
उस ऊहापोह को
जो घटित होती है प्रति क्षण तुझमें
उस मन को
जो हर वक्त है बेचैन
उस विरानी को
जिसे खुशियों के उत्सवों को भी
लीलते हुए देखा है मैंने
उस जिस्म को
जो बस प्यास ही तो जगाता है
जानता हूं इतना सबकुछ छोड़कर
लौटने में वक्त तो लगता है
इसलिए, इस बार लंबा इंतजार
फिर ना जाने के लिए
खालिस तू जब होगी
तभी तो, बातें होंगी जी भर

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