Saturday, May 3, 2014

मौन


अरसे से मौन है शब्द
मौन है जिस्म
हवा भी है मौन
मौन है वृक्ष भी
ये जल, पर्वत, पक्षी
रास्ता, घर, बाजार
और हर शख्स है मौन
हर खोज भी
दुनिया जहां की मौज भी
बस मौन, हर ओर मौन
काश
कोई समझे
मन की भाषा
ताकि, हर मौन
फिर बोल पड़े

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