Friday, May 13, 2011

उसके नाम जिंदगी...



मैंने जिंदगी की उसके नाम
वो लम्हों की खैरात देती रही
कई बार सोचा मैंने
क्यूँ करती है वो ऐसा?
शुरू से लेकर अंत तक
उन सारे लम्हों को टटोला
जिया था मैंने जिन्हे
अपना समझ, पूरी शिद्दत से
तब मैंने जाना
खैरात होती है सिर्फ
और सिर्फ गुजर के लिए
यह वो बख्शीश है
जो भरपूर उपयोग के बाद
बच गई होती है
जिसे किसी की झोली में
डाल भी दिया जाए
खजाने पर फर्क नहीं होता
नाम हो जाता सो अलग
अब कोई तो बताओ
खैरात पर कोई भला
जिंदगी नाम करता है?





 

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