Wednesday, September 7, 2011

देख, क्या कहते हैं ये इशारे!



आज खिला-खिला है सूरज
जरूर खिलकर हँसेगी वो
सुबह से झर रहा है आसमाँ
प्यार के दो बोल बरसाएगी वो
सारा दिन लिहाफ ओढ़े है
गुनगुनी अंगीठी नजर आएगी वो
किस कदर चहक रही है चिड़िया
आज जरूर फुदकती मिलेगी वो
महकी, कुछ बहकी सी है हवा
जरूर मदहोशी में होगी वो
आज मौसम छेड़ रहा सुरीली तान
निश्चित ही दिल के तार छेड़ेगी वो
ये झूमते क्यों नजर आ रहे हैं पेड़
मस्ती के आलम में होगी वो
हर दिन, हर पल, हर जगह
मैं खोजता हूँ तुझको
और उन संकेतों को
जो नजर आते हैं
और ले जाते हैं
मुझे तेरे और करीब


 

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