अरसा हो गया
सुने हंसी तेरी
कि अब तो
शिकायतों में है जिंदगी तमाम
रोशन करता हूं रोज
उम्मीद का दीया दिल में
शाम होते-होते
उदासी में डूब जाता है कहीं
तुझे पता है
तेरी कुरबत की खातिर
हर पल मर कर
न जाने कैसे जी उठता हूं मैं
फिर भी, नहीं होता है यकीं
तू भी वही, हूं मैं भी वही
न जाने कहां
खो गए तू, मैं कहीं
ये तलाश, ये प्यास
तेरी एक हंसी से
होती है शुरू
और, तमाम भी यहीं
सुने हंसी तेरी
कि अब तो
शिकायतों में है जिंदगी तमाम
रोशन करता हूं रोज
उम्मीद का दीया दिल में
शाम होते-होते
उदासी में डूब जाता है कहीं
तुझे पता है
तेरी कुरबत की खातिर
हर पल मर कर
न जाने कैसे जी उठता हूं मैं
फिर भी, नहीं होता है यकीं
तू भी वही, हूं मैं भी वही
न जाने कहां
खो गए तू, मैं कहीं
ये तलाश, ये प्यास
तेरी एक हंसी से
होती है शुरू
और, तमाम भी यहीं
wah...:-)
ReplyDeletethnx :)
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