Tuesday, March 27, 2012

बुरा वक्त!

 बुरे वक्त में
याद आ जाता है ईमाँ
वरना, यह भी तो
खूँटी पर टंगी चीज है
बुरे वक्त पर तो
खुदा भी नजर आता है
वरना, वह भी तो
दीवारों में कैद है कहीं
सच्चे दोस्त की परख
कराता है बुरा वक्त
वरना, कौओं में
हंस भी कहाँ नजर आता है
खुद में झाँकने को मजबूर करता है
यह बुरा वक्त
वरना, इस भीड़ के शोर में
'मैं" की आवाज कहाँ सुनता है कोई?
हौंसला, जोश, जुनून
संघर्ष, जीवटता
ऐसे अनगिनत शब्द
जीवन में घोल देता है
यह बुरा वक्त

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