तुझे जीने के लिए
जरूरी नहीं है तेरा होना
पर, तेरे होने के लिए अब
मेरा होना है जरूरी
मैं ना रहा तो तू बता
पहचान ही क्या है अब तेरी
कभी जोड़ा करते थे कुछ दिलजले
तेरे नाम के साथ नाम मेरा
पर अब, लेते हैं वे ही सातों पहर
कसमें मेरे प्यार की
तू घड़ी भर ठहर
देख तो सही
कैसे ना होकर भी
किसी में जी रहा होता है कोई
कैसे सहरा में
जीवन की आस में भटकता है कोई
और कैसे डूबकर भी
जीने की तमन्ना रखता है कोई
कैसे छूटकर भी
खुद को जोड़े रखता है कोई
कैसे दर्द के सैलाब में
उम्मीदों के तिनके बीनता है कोई
कैसे तेरे होने, ना होने में
खुद को उम्मीदों में बांधे रखता है कोई
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