उनिंदी सी उस सुबह
ब्रश करते हुए
आईने में जब खुद को टटोला
हल्की-सी निकल आई दाढ़ी में
दो सफेद मेहमान भी नजर आए
मैंने मुस्कुराकर कहा-वेलकम
वो बोले-उमर के निशाँ है प्यारे
अब तो बड़ा हो जा
अभी तो हम दो हैं
आगे देखता जा, होता है क्या
तभी ताजे झोंके समान
'युगी" आकर पैरों से लिपट गई
बोली- बॉलऽऽऽ
फिर मैं घंटों बेटी के साथ
बच्चा बना रहा
ब्रश करते हुए
आईने में जब खुद को टटोला
हल्की-सी निकल आई दाढ़ी में
दो सफेद मेहमान भी नजर आए
मैंने मुस्कुराकर कहा-वेलकम
वो बोले-उमर के निशाँ है प्यारे
अब तो बड़ा हो जा
अभी तो हम दो हैं
आगे देखता जा, होता है क्या
तभी ताजे झोंके समान
'युगी" आकर पैरों से लिपट गई
बोली- बॉलऽऽऽ
फिर मैं घंटों बेटी के साथ
बच्चा बना रहा
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