काश कभी ऐसा हो मौन ही शब्द बन जाए तब तेरा दिल सीधे जान लेगा इस दिल के हाल दोनों कर लेंगे मिलबैठ दूर सब शिकवे-शिकायत बता भी देंगे जख्म किस कदर गहरें हैं कमबख्त और इकदूजे को लगा देंगे राहत का मलहम दिन-दिन भर करते रहेंगे दिल्लगी की बातें न समय, न शब्द बस बोलेगा सिर्फ मौन
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