Saturday, July 30, 2011

कुछ बात तो है तुझमें!



मुस्काते हुए खिलता है सूरज
बो देता है रश्मियाँ
ओंस की बूँदों में
ऐसे ही ये बदलियाँ
ध्ारती की कोख
कर देती है हरी
उन ठंडे झोकों की
तो बात ही न पूछो
जो करते हैं
पूरी कायनात की कानाफूसी
...और ये चाँद भी ना
अक्सर चाँदनी को भेज
करता है दिलों में ताकाझाँकी
कई बार तो तारों की बारात
झिलमिल करती
उतर आती है सपनों में
यकीनन, कुछ बात
तो है 'तुझमें"
 

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