Tuesday, May 22, 2018

गुम



इस बार कहीं दूर चला जाऊं
खुद को पीछे छोड़
जिस्म देखता रहे
खुद अपनी परछाई
वो देखे
मुझे जाते
जैस जाता है सावन कोई
मैं तप जाऊं, थक जाऊं
पर, मुड़कर ना आऊं वहां
जहां बुत बन खड़ा 
जिस्म एकटक देख रहा मुझे
प्यार की पनाह
उठते दर्द की छांह
सबसे बे-खबर
मैं बस 
अब इतना दूर निकल जाऊं
कहीं खुद को ना पाऊं