प्यास
Monday, July 18, 2011
कौड़ियों में दिल!
सजा है हुस्न का बाजार
खरीददार यहाँ हजार
कीमत है तो बस जिस्म की
कौड़ियों में बिकते यहाँ दिल
संभलना ऐ मेरे यार
शातिर हो गया है सौदागर
चुकाता है दिल का दाम
ले जाता है जिस्म का इनाम
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