Sunday, July 3, 2011

साथ चलें!




बचपन से लेकर
जवाँ होने तक
एक ख्याल हमेशा
देता रहा है दस्तक
नहीं होगी नजर कमजोर
झुर्रियाँ, पके बालों से
रहूँगा कोसों दूर
पर जबसे दादी ने यह कहा
अब जाना है दुनिया से दूर
सोचता हूँ क्यों नहीं हो रहा
मैं भी तेजी से बूढ़ा

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