Saturday, March 23, 2019

स्व

वो बोलता कुछ नहीं 
बस सुनता है 
देखता है 
उसकी नजरों 
उसकी चुप्पी में
कई प्रश्न है
मैं, 
नहीं खोज पाता जवाब 
नहीं कर पाता सामना 
दिन भर का हिसाब मांग 
फिर वह एक आश्वासन के साथ 
मुझे सुला, जागता रहता है सारी रात 
तकिये किनारे बैठ 
इस उम्मीद से
एक दिन यह जागेगा 
करेगा सामना खुद से खुद का