वो बोलता कुछ नहीं
बस सुनता है
देखता है
उसकी नजरों
उसकी चुप्पी में
कई प्रश्न है
मैं,
नहीं खोज पाता जवाब
नहीं कर पाता सामना
दिन भर का हिसाब मांग
फिर वह एक आश्वासन के साथ
मुझे सुला, जागता रहता है सारी रात
तकिये किनारे बैठ
इस उम्मीद से
एक दिन यह जागेगा
करेगा सामना खुद से खुद का