Monday, July 4, 2011

'प्रेमगीत"





जब हम बात करते हैं
तो झगड़ते हैं
मौन करता है हमें बेचैन
दूरी में सोचते हैं
क्या चल रहा होगा वहाँ
फिर जब मिलते हैं
होती है शिकायतें तमाम
इक-दूजे की गलतियाँ
बैठ जाते हैं गिनाने
फिर पता नहीं कैसे
लगते हैं 'प्रेमगीत" गुनगुनाने

No comments:

Post a Comment