Tuesday, May 12, 2015

हद


हर वक्त मैं
हद में रहा
जिंदगी यूं ही पास से
मुस्कुरा के गुजर गई
चाहता था उसे छूना
जी भर जीना
नहीं मिली खुद से
इजाजत मुझे
डर था, कोई समझेगा काफिर
तो कोई कहेगा मौकापरस्त मुझे
डर ये भी था कि
छूने से कहीं
मैला ना हो जाए दामन मेरा
तोहमतों के बाजार में कहीं
कोई ले ना ले नाम मेरा
फिर, मैंने बस इतना किया
मैं हद में रहा
और जिंदगी
यूं ही मुस्कुरा के गुजर गई