जिंदगी के फैसले यूँ नहीं होते
सब तेरा ही तेरा
कुछ मेरा भी तो जोड़ इसमें
फासले और बढ़ेंगे
ये तू क्यूँ नहीं समझती
कुछ कदम तू भी तो जोड़ इसमें
हर बार 'मैं" में रहती
फिर खुद से ही लड़ती
एक बार 'हम" भी तो जोड़ इसमें
चली जा रही है यूँ अकेली
कैसे सुलझेगी जीवन की ये पहेली
मेरे आहटों को भी तो जोड़ इसमें
आईना कहता है
ये चेहरा है बड़ा खुबसूरत
पर एक मुस्कान भी तो जोड़ इसमें
मुझे पता है, कसेली है ये जिंदगी
थोड़ा दूध्ा है, थोड़ा पानी
दो चम्मच 'प्यार" की चीनी तो डाल इसमें
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