तलहटी का कोना!
सब कुछ शांत
किसी झील की मानिंद
पता नहीं एक छोसा-सा
कंकड़ कहीं से उछला
समा गया
पानी में हल्की हलचल
स्पष्ट, तस्वीरें हिलीं
दूर तलक झीनी सी लहरें
फिर सब कुछ शांत
पंछी, पेड़ों, किनारों
आसपास को
नहीं चला कुछ पता
बस तलहटी में कहीं
जो बचा था एक कोना
वह अब नहीं रहा सूना!
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