इश्क...
न छू इसे, रहने दे ऐसा ही
जख्म गहरा है कितना
देखूं तो एक नजर भर
परख लूं यह भी
दर्द कब खुद
बन जाया करता है दवा
और इसलिए भी मत छू
विष बीज है यह कमबख्त
करता है छूते ही
सीधे दिल पर असर
न दवा आती है काम
न करती है दुआ असर
चाहकर भी कहां मर पाएगी तू
खुद जहर बनकर भी
जिंदा रह जाएगी तू
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