कई बातें होती है ऐसी
भूलकर भी कहाँ भूलता है कोई
साथ का भी है कुछ ऐसा
छूटकर कहाँ छूटता है कोई
चलती रहती है जिंदगी
मगर जम जाती है राहें कोई
निराशाओं के समंदर में भी
उम्मीद बँधा जाता है कोई
भटक जाओ तो
पदचिन्हों के सहारे ढूँढ लेता है कोई
भीड़ में भी जब तन्हा होता हूँ
निहारने लगता है चेहरा कोई
मरने तक का है साथ मेरा
फिर भले हजार तोहमतें लगाए कोई
क्यूँ होता है ऐसा
किसी एक मुस्कान पर
पिघल जाता है कोई
कुछ नहीं बचता उसका
सर्वत्र फैल जाता है कोई
भूलकर भी कहाँ भूलता है कोई
साथ का भी है कुछ ऐसा
छूटकर कहाँ छूटता है कोई
चलती रहती है जिंदगी
मगर जम जाती है राहें कोई
निराशाओं के समंदर में भी
उम्मीद बँधा जाता है कोई
भटक जाओ तो
पदचिन्हों के सहारे ढूँढ लेता है कोई
भीड़ में भी जब तन्हा होता हूँ
निहारने लगता है चेहरा कोई
मरने तक का है साथ मेरा
फिर भले हजार तोहमतें लगाए कोई
क्यूँ होता है ऐसा
किसी एक मुस्कान पर
पिघल जाता है कोई
कुछ नहीं बचता उसका
सर्वत्र फैल जाता है कोई
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