Thursday, June 23, 2011

'डर" का डर...



मुश्किल हो या आसाँ
यह है तेरा सफर
तूने चुनी है यह मंजिल
चलना भी होगा तुझी को
सोचने भर से नहीं मिलता
अपनी मर्जी का जहाँ
सुना होगा तूने भी
डरनेवालों के गले
लगती रही है हार
जीत रही है उसी की
जिसने खौफ से लड़ना सीखा
दुनिया 'डर" का डर दिखाकर
छीनती है तेरे हिस्से की खुशियाँ
वह घात लगाए बैठी है
तू आगे बढ़े, तेरी राह में रोड़े मिले
उनकी तुझसे दुश्मनी नहीं
यह फितरत है, तुझे समझना होगा
अपनी मर्जी के जहाँ की खातिर
अपने 'हमसफर" पर भरोसा करना होगा


 

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