Sunday, September 1, 2013

कुछ इस तरह...


जी ले जरा 
कुछ इस तरह
क्या डर, क्या फिकर
हौंसला है अगर
तो क्या है कठिन डगर
बस तू जी ले जरा
कुछ इस तरह
आंखों में आंखें डाल
बोल तू खुलकर
ना तो ना, हां तो हां
न देख पीछे मुड़कर
बढ़ आगे कुछ इस तरह
मांग हक बांह मरोड़कर
जीत क्या, क्या है हार
बस तू खेल खुलकर 
क्या डर, क्या फिकर
जी ले जरा 
कुछ इस तरह
देख तू नजर भर
खुद में तू इस तरह
तुझ में खुदा, तुझ में है ईश्वर
तो फिर खोना क्या, पाना क्या
इस तरह रो-रोकर जीना क्या
जो हुआ, जो न हुआ
सोच, सोचकर अब डरना क्या
माना न है यकीन तुझमें
न है साहस तुझमें 
पर, मेरे लिए 
बस एक बार
तू कर यह नेक काम 
बस, जी ले जरा 
कुछ इस तरह
जी ले जरा 
कुछ इस तरह...

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