सुना था मैंने
खुदा के दर से नहीं जाता
कोई खाली हाथ
मगर न जाने क्यूँ
चौखट से तेरी
लौटा हूँ हमेशा उल्टे पाँव
यह भी सुना था कभी
तकदीर देती है सभी को
एक मौका जरूर
मगर हम देखते रह गए
जिंदगी यूँ ही तमाम हो गई
कहते तो यह भी हैं कहने वाले
जो करता है कोशिश
जीत हो ही जाती है उसकी
फिर कैसे, कहाँ हुई गलती मुझसे?
खुब लगाया जोर मगर
हार हमेशा हाथ लगी
नहीं है रंजो-गम
कि मैं, पा न सका तुझे
अफसोस तो यह है कि
तू पत्थर-दिल निकली
और मैं खुदा कहता रहा तुझे
खुदा के दर से नहीं जाता
कोई खाली हाथ
मगर न जाने क्यूँ
चौखट से तेरी
लौटा हूँ हमेशा उल्टे पाँव
यह भी सुना था कभी
तकदीर देती है सभी को
एक मौका जरूर
मगर हम देखते रह गए
जिंदगी यूँ ही तमाम हो गई
कहते तो यह भी हैं कहने वाले
जो करता है कोशिश
जीत हो ही जाती है उसकी
फिर कैसे, कहाँ हुई गलती मुझसे?
खुब लगाया जोर मगर
हार हमेशा हाथ लगी
नहीं है रंजो-गम
कि मैं, पा न सका तुझे
अफसोस तो यह है कि
तू पत्थर-दिल निकली
और मैं खुदा कहता रहा तुझे
बेहतरीन भाव ... बहुत सुंदर रचना प्रभावशाली प्रस्तुति
ReplyDeletebehtreen abhivaykti...
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