प्यास
Friday, October 28, 2011
फरेबी...
सब तकदीर का खेल है
वर्ना ना तुम मिलते
ना हम इस दरिया में उतरते
हमें तो आता था तैरना
मगर न जाने कैसे
किनारे पर आकर डूबे
बच तो हम तब भी जाते
मगर हाय री किस्मत
फरेबी तुम निकले
1 comment:
विभूति"
October 29, 2011 at 1:10 AM
bhaut khub...
Reply
Delete
Replies
Reply
Add comment
Load more...
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
bhaut khub...
ReplyDelete